रेलवे अगस्त 2022 तक बुलेट ट्रेन शुरू करने की समय सीमा पूरी नहीं कर सकेगा- सूत्र

बुलेट ट्रेन (फाइल फोटो)
रेलवे 508 किलोमीटर लंबे हाई स्पीड कॉरिडोर पर अगस्त 2022 तक बुलेट ट्रेन शुरू करने की समय सीमा पूरी नहीं कर सकेगा। सूत्रों का कहना है कि इस स्थिति में रेलवे निर्धारित समय तक सिर्फ 50 किलोमीटर सेक्शन का रूट शुरू करने की योजना पर विचार कर रहा है।
सूत्रों का कहना है कि बुलेट ट्रेन परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) का कहना है कि भारत के आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त 2022 की समय सीमा को पूरा करना मुश्किल है। ऐसे में एक छोटे से हिस्से गुजरात में सूरत से बिल्लीमोरा तक के रूट को चालू किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि यह परियोजना पूर्ण रूप 2023 में पूरी होने का अनुमान है। परियोजना में देरी का कारण न सिर्फ भूमि अधिग्रहण बल्कि अन्य प्रक्रिया व विस्तृत योजना भी है जिनपर अभी काम किया जा रहा है।
वडोदरा स्टेशन पर बनेगा 220 मीटर लंबा गर्डर
बुलेट ट्रेन परियोजना में वडोदरा स्टेशन पर 220 मीटर लंबा गर्डर बनाना भी चुनौतियों से भरा होगा। जापान को इस गर्डर का निर्माण करना है। हालांकि जापान को भी बुलेट ट्रेन चलाने के लिए इतना बड़ा गर्डर स्लैब बनाने का अनुभव नहीं है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के अधिकारी भी इसे बेहद कठिन काम मान रहे है। इस दौरान नीचे रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही भी नहीं रुकेगी।
वडोदरा में 600 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहा ट्रेनिंग सेंटर
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में भले ही जापान मदद कर रहा हो, लेकिन इस तकनीक को समझने के लिए भारत भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। रेलवे अपने अधिकारियों को ट्रेनिंग के लिए जापान ही नहीं भेज रहा बल्कि वडोदरा में ट्रेनिंग सेंटर ही खोल रहा है। ट्रेन को पहले ही दिन से ही भारतीय कैप्टन चलाएंगे।
बेहतर ट्रेनिंग के लिए वडोदरा में 600 करोड़ रुपये की लागत से तैयार से ट्रेनिंग सेंटर तैयार किया जा रहा है। 2020 तक ये इंस्टीट्यूट पूरी तरह तैयार हो जाएगा। यहां नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरशन अपने 3500 कर्मचारियों की प्रशिक्षित करेगा। रेलवे अपने 300 अधिकारियों को जापान भेज कर प्रशिक्षित भी करेगा।
नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन के प्रवक्ता धनंजय कुमार ने बताया की जब बुलेट ट्रेन भारत पहुंचेगी, उससे पहले न ट्रेन कैप्टन, क्रू मेंबर, टिकट स्टाफ भी प्रशिक्षित हो जाएंगे। ट्रेनिंग के लिए बुलेट ट्रेन के ट्रैक का एक हिस्सा भी आयात कर ट्रेनिंग सेंटर में लगेगा।
सूत्रों का कहना है कि यह परियोजना पूर्ण रूप 2023 में पूरी होने का अनुमान है। परियोजना में देरी का कारण न सिर्फ भूमि अधिग्रहण बल्कि अन्य प्रक्रिया व विस्तृत योजना भी है जिनपर अभी काम किया जा रहा है।
वडोदरा स्टेशन पर बनेगा 220 मीटर लंबा गर्डर
बुलेट ट्रेन परियोजना में वडोदरा स्टेशन पर 220 मीटर लंबा गर्डर बनाना भी चुनौतियों से भरा होगा। जापान को इस गर्डर का निर्माण करना है। हालांकि जापान को भी बुलेट ट्रेन चलाने के लिए इतना बड़ा गर्डर स्लैब बनाने का अनुभव नहीं है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के अधिकारी भी इसे बेहद कठिन काम मान रहे है। इस दौरान नीचे रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही भी नहीं रुकेगी।
वडोदरा में 600 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहा ट्रेनिंग सेंटर
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में भले ही जापान मदद कर रहा हो, लेकिन इस तकनीक को समझने के लिए भारत भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। रेलवे अपने अधिकारियों को ट्रेनिंग के लिए जापान ही नहीं भेज रहा बल्कि वडोदरा में ट्रेनिंग सेंटर ही खोल रहा है। ट्रेन को पहले ही दिन से ही भारतीय कैप्टन चलाएंगे।
बेहतर ट्रेनिंग के लिए वडोदरा में 600 करोड़ रुपये की लागत से तैयार से ट्रेनिंग सेंटर तैयार किया जा रहा है। 2020 तक ये इंस्टीट्यूट पूरी तरह तैयार हो जाएगा। यहां नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरशन अपने 3500 कर्मचारियों की प्रशिक्षित करेगा। रेलवे अपने 300 अधिकारियों को जापान भेज कर प्रशिक्षित भी करेगा।
नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन के प्रवक्ता धनंजय कुमार ने बताया की जब बुलेट ट्रेन भारत पहुंचेगी, उससे पहले न ट्रेन कैप्टन, क्रू मेंबर, टिकट स्टाफ भी प्रशिक्षित हो जाएंगे। ट्रेनिंग के लिए बुलेट ट्रेन के ट्रैक का एक हिस्सा भी आयात कर ट्रेनिंग सेंटर में लगेगा।
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