जल्द ही स्कूल बसों में बच्चे लगा सकेंगे सीट बेल्ट, बच्चों की सुरक्षा पर एनसीपीसीआर की पहल

पिछले कुछ महीनों से देशभर में स्कूल बसों और स्कूल वैन के साथ बढ़ रहे हादसों को देखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग का कहना है कि कई स्कूल बच्चों की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहे हैं। एनसीपीसीआर का कहना है कि स्कूल बसों में सीट बेल्ट्स अनिवार्य की जाएं, और बस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर बस मालिक के अलावा स्कूल मालिकों और ट्रस्टी की भी जिम्मेदारी तय की जाए।
सेफ स्कूल ट्रांसपोर्ट पर बैठक
मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 को स्कूली परिवहन व्यवस्था में प्रभावी रूप से लागू करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक नई पहल की है। आयोग ने शुक्रवार को ‘सेफ स्कूल ट्रांसपोर्ट’ पर सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों, राज्य परिवहन सचिवों, विशेषज्ञों और राज्यों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों (यातायात) के साथ राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया।
दागदार कर्मचारी चला रहे बस
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन स्तुति कक्कड़ के मुताबिक बच्चे दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, अतः उनके लिए विशेष सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। पिछले कुछ समय से बच्चे सड़क हादसों का शिकार हो रहे हैं और हमें इस पर खास ध्यान देने की जरूरत है। उनके मुताबिक वर्तमान में स्कूलों की परिवहन व्यवस्था उन कर्मियों के हाथों में जिन पर पहले यौन शोषण के आरोप लग चुके हैं। बच्चों के साथ तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसों के लिए सरकार के साथ लापरवाह अभिभावक और माता-पिता भी बराबर के साझीदार हैं।
तय हो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मेंबर सेक्रेटरी एजुकेशन प्रियंक कानूनगो ने बताया कि एनसीपीसीआर लगातार 19 करोड़ बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, जिनमें सात करोड़ बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में सुरक्षा उपायों में कमी को लेकर स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
बसों में हों सीट बेल्ट्स
प्रियंक के मुताबिक परामर्श कार्यक्रम में कई सुझाव आए हैं। इनमें स्कूल बसों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता को लेकर सुझाव आया है, जिस पर आयोग ने सहमति जताई कि स्कूल बस मैन्यूफैक्चरर्स से बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा कि जब विदेश में स्कूल बसों में बच्चों के लिए सीट बेल्ट की व्यवस्था हो सकती है, तो यहां क्यों नहीं। वहीं उन्होंने बताया कि स्कूल में चल रही खटारा बसों पर कड़ी कार्रवाई करने का सुझाव मिला है।
साथ ही, स्कूल बस के साथ हादसा होने पर बस मालिक के साथ स्कूल प्रशासन और प्रबंधकों पर भी कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। आयोग ने स्कूलों में बच्चों के बचाव एवं सुरक्षा पर एक गाइडलाइन के साथ बाल अधिकारों को लेकर सर्टिफिकेट कोर्स भी तैयार किया गया है, जिसकी ट्रेनिंग स्कूल संचालकों और स्टॉफ को दी जाएगी। आयोग सेफ स्कूल ट्रांसपोर्ट पर अपनी रिपोर्ट अनुशंसा के साथ महीने भर के भीतर सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को सौंपेगा।
मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 को स्कूली परिवहन व्यवस्था में प्रभावी रूप से लागू करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक नई पहल की है। आयोग ने शुक्रवार को ‘सेफ स्कूल ट्रांसपोर्ट’ पर सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों, राज्य परिवहन सचिवों, विशेषज्ञों और राज्यों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों (यातायात) के साथ राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया।
दागदार कर्मचारी चला रहे बस
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन स्तुति कक्कड़ के मुताबिक बच्चे दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, अतः उनके लिए विशेष सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। पिछले कुछ समय से बच्चे सड़क हादसों का शिकार हो रहे हैं और हमें इस पर खास ध्यान देने की जरूरत है। उनके मुताबिक वर्तमान में स्कूलों की परिवहन व्यवस्था उन कर्मियों के हाथों में जिन पर पहले यौन शोषण के आरोप लग चुके हैं। बच्चों के साथ तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसों के लिए सरकार के साथ लापरवाह अभिभावक और माता-पिता भी बराबर के साझीदार हैं।
तय हो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मेंबर सेक्रेटरी एजुकेशन प्रियंक कानूनगो ने बताया कि एनसीपीसीआर लगातार 19 करोड़ बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, जिनमें सात करोड़ बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में सुरक्षा उपायों में कमी को लेकर स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
बसों में हों सीट बेल्ट्स
प्रियंक के मुताबिक परामर्श कार्यक्रम में कई सुझाव आए हैं। इनमें स्कूल बसों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता को लेकर सुझाव आया है, जिस पर आयोग ने सहमति जताई कि स्कूल बस मैन्यूफैक्चरर्स से बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा कि जब विदेश में स्कूल बसों में बच्चों के लिए सीट बेल्ट की व्यवस्था हो सकती है, तो यहां क्यों नहीं। वहीं उन्होंने बताया कि स्कूल में चल रही खटारा बसों पर कड़ी कार्रवाई करने का सुझाव मिला है।
साथ ही, स्कूल बस के साथ हादसा होने पर बस मालिक के साथ स्कूल प्रशासन और प्रबंधकों पर भी कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। आयोग ने स्कूलों में बच्चों के बचाव एवं सुरक्षा पर एक गाइडलाइन के साथ बाल अधिकारों को लेकर सर्टिफिकेट कोर्स भी तैयार किया गया है, जिसकी ट्रेनिंग स्कूल संचालकों और स्टॉफ को दी जाएगी। आयोग सेफ स्कूल ट्रांसपोर्ट पर अपनी रिपोर्ट अनुशंसा के साथ महीने भर के भीतर सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को सौंपेगा।
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